Saturday, October 24, 2020

🌿 आयुर्वेद - धतूरा



धतूरा एक खरपतवार है जो सामान्‍य रूप से उस जगह आसानी से मिल जाता है जहां कचरा या कूड़ा एकत्र किया जाता है। धतूरा को अलग-अलग स्‍थानों पर कई नामों से जाना जाता है। जैसे कि मदन, उन्‍मत्‍त, शिवप्रिय, महामोही, कृष्‍ण धतूरा, खरदूषण, शिवशेखर, सविष, धुतूरा, सादा धुतूरा, धोत्रा ततूर, दतुरम आदि। इसकी कई प्रजातियां होने के कारण केवल कुछ प्र‍जातियों का औषधीय उपयोग किया जाता है। क्‍योंकि कुछ प्रजातियां बेहद जहरीली होती हैं।


धतूरे कई प्रकार के होते हैं पर मुख्य भेद दो माने जाते है । सफेद धतूरा और काला धतूरा । कहीं कहीं पीला धतूरा भी मिलता है । इसके फूल सुनहले रंग के होते हैं । काले धतूरे के डंठल, टहनियाँ और पत्तों की नसे गहरे बगनी रंग की होते है तथा फूलों के निचले भाग भी कुछ दूर तक रक्तकृष्णाभ होते हैं । 


यूं तो ईश्वर को अपनी बनाई सभी वनस्पतियां प्रिय हैं, लेकिन धतूरा इसके औषधीय गुणों के कारण शिवजी को विशेष प्रिय है। यदि एक भी पन्ना फूल रखा जाता है और शिव से प्रार्थना की जाती है .. तो भक्तों के लिए निर्वाण तैयार किया जाएगा। केरल में भगवान शिव के मंदिरों में विशेष रूप से सभी फूलों का अभिषेक किया जाता है। मांगलिक भाग्य पाने के लिए भगवान शिव की पूजा करना चाहिए। फिर भी पन्ना के फूलों से बनी माला से भगवान शिव की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। गणेश को पन्ना के फूल भी पसंद हैं। यह पत्ता विनायका चैविती के दिन की गई वरसिद्धिविनायक एकवतीसति पति पूजा की श्रृंखला में चौथा है। साथ ही, यदि देवी दुर्गा की पूजा allspice फूलों से की जाए .. तो गरीबी दूर हो जाएगी। नवरात्रि के सातवें दिन देवी सरस्वती अलंकरण में प्रकट होती हैं। उस दिन, देवी सरस्वती की मूर्ति के सामने पन्ना फूल के साथ एक रंगोली की पूजा की जाती है जो विशेष परिणामों के लिए होती है।



धतूरा ऐसा पौधा है, जो जड़ से लेकर तना तक औषधि गुणों से परिपूर्ण होता है। आयुर्वेद पद्धति में धतूरा का बहुत महत्व है। औषधि गुणों की खान माने जाने वाले धतूरा की जड़, फल, फूल, पत्ता औषधि गुणों से युक्त हैं। पैर में सूजन हो जाने पर इसके पत्ते को पीसकरलगाना काफी उपयुक्त माना जाता है। सांस के रोगों और जोड़ों के दर्द में भी यह लाभदायक होता है। बुखार, सायटिका, गठिया, पेट में गैस आदि तमाम रोगों में धतूरा का शोधन कर बनाई दवा से रोगों से मुक्ति मिलती है। आइए इस स्‍लाइड शो के माध्‍यम से धतूरे के औषधीय गुणों की जानकारी लेते हैं।


जहरीला होने के वजह से लोग इसे हाथ लगाने से भी डरते हैं। लेकिन धतूरे के इन फायदों को जानने के बाद यह फल आपकी भी पसंद बन जाएगा। 


☆ धतूरा के फायदे :



* गंजेपन को करे दूर -

धतूरे का प्रयोग गंजेपन को दूर करने के लिए फायदेमंद साबित होता है। इसके रस को सिर पर मलने से न केवल डैंड्रफ ख़त्म होती है, बल्कि गंजेपन से भी छुटकारा मिलता है। इसके अलावा सिर पर जुएं होने पर आधा लीटर सरसों के तेल में ढाई सौ ग्राम धतूरे के पत्तों का रस न‍िकालकर लगा लें। इससे जुएं की समस्‍या खत्‍म हो जाएगीं।


* दर्द में राहत - 

दर्द से रहत पाने के लिए धतूरे के रस को टिल के तेल में मिलकर गर्म कर लें और दर्द वाली जगह पर इस तेल की मालिश करें।


* बवासीर के ल‍िए -

बवासीर के इलाज के तौर पर भी धतूरे का इस्तेमाल किया जाता है। इसके लिए धतूरे के फूल और पत्तों को जलाकर इसके धुएं से बवासीर के मस्सों की सिकाई करने से भी फायदा होता है


* जोड़ों का दर्द -

नियमित रूप से धतूरे के रस और तिल के तेल की मालिश करने से जोड़ों की समस्या और गठिया जैसी समस्याओं से न केवल काफी हद तक निजात पाई जा सकती है बल्कि इस रोग को पूरी तरह से मिटाया भी जा सकता है


* यौन शक्ति बढ़ाने के ल‍िए -

धतूरें के बीज को अकरकरा और लौंग के साथ मिलाकर छोटी-छोटी गुटिका बनाकर सेवन करने से ये यौनशक्ति में इजाफा करता है।


* जल्‍दी गर्भधारण करने के ल‍िए - 

धतूरे के फलों का चूर्ण 2 .5 ग्राम की मात्रा में बनाकर इसमें आधा चम्मच गाय का घी और शहद मिलकर रोजाना चटाने से स्त्रियों को जल्द गर्भधारण करने में भी मदद मिलती है।


* बुखार होने पर - 

बुखार या कफ होने की स्थिति में लगभग 125 -250 मिलीग्राम धतूरे के बीज लेकर इसे जलाकर राख बना लें और इस राख को मरीज को दें। इससे बुखार या कफ गायब हो जाएगा।



सावधानी : -


धतूरा औषधीय गुणों से भरपूर है लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि धतूर विष है और अधिक मात्रा में इसका सेवन शरीर में रुखापन लाता है। मात्रा से अधिक प्रयोग करने पर सिरदर्द, पागलपन और बेहोशी जैसे लक्षण उत्पन्न करता है और आंखे व चेहरा लाल हो जाता है। शरीर का तापमान बढ़ जाता है। चक्कर आने लगता है। आंखों के तारे फैल जाते हैं और व्यक्ति को एक वस्तु देखने पर एक से दिखाई पड़ने लगती है। रोगी रोने लगता है। नाड़ी कमजोर होकर अनियमित चलने लगती है। कई बार तो यह मृत्यु का कारण भी बन सकता है। इसलिए इसका प्रयोग चिकित्सक के निर्देशन में सावधानीपूर्वक करें तो बेहतर होगा। 



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