Thursday, October 15, 2020

🌿 आयुर्वेद - अपामार्ग(चिरचिटा)


चिरचिटा एक ऐसी जडीबुटी है जिसका पौधा बरसात के मौसम में अंकुरित ,ठण्ड के मौसम में फलता-फूलता और गर्मी के मौसम में पूर्ण विकसित होकर सुख जाता है| अत: यह बारहमासी पौधा होता है| chirchita ka botanical name एचिरेंथस ऐस्पेरा (Achyranthes Aspera) है| इस पौधे का उपयोग आन्तरिक व बाहरी रूप से शरीर को detoxify करने के लिए किया जाता है|

गणेश चतुर्थी हिन्दू भगवान गणेश की पूजा अपने घर में गणेश की मूर्ति रखकर करते हैं। गणेश पूजा पर भगवान गणेश के लिए सुझाए गए 21 अलग-अलग प्रकार के पत्रा हैं जिन्हें पात्रा पूजा के नाम से जाना जाता है। 21 प्रकार के पितरों के साथ पूजा करने को एकमावती पूजा कहा जाता है। अपामार्ग पत्र उनमें से एक है।



चिरचिटा एक खरपतवार है जो खेतों ,जंगल व खाली पड़ी जमीन पर बड़ी आसानी से देखने को मिल जाता है| इस पौधे की जड़ बेलनाकार व भूरे रंग की तथा तना हल्के पीले रंग का होता है जो सूखने के बाद खोखला हो जाता है|

इसके पत्ते अंडाकार तथा नुकीले व फूल हरे-गुलाबी या बैगनी रंग की कलियों से युक्त होते है और बीजों का आकार चावल की तरह होता है| इसके बीज अगर एक बार कपड़े पर चिपक जाए तो बड़ी मुश्किल से निकलते है|


* चिरचिटा के प्रकार (Apamarga Plant) : –

यह दो प्रकार के होते है तथा इन दोनों का ही उपयोग जडीबुटी के रूप में किया जाता है –

1. सफेद चिरचिटा

2. लाल चिरचिटा


* चिरचिटा के विभिन्न नाम : –


सफेद चिरचिटा : लटजीरा ,चिचड़ा ,अपामार्ग ,प्रत्यकपुष्पी ,अपंग ,अघेड़ो ,दतिवन ,कुत्री ,शिखरी ,मयूरक ,कटलटी आदि|

• लाल चिरचिटा : लाल चिचिड़ा ,वृंतफल ,वशिर ,उत्तरनी ,चिरुकटलाती ,परपल प्रिंसेस आदि|


* चिरचिटा के बीज / जड़ के चमत्कारी फायदे : –

कफ वातशामक ,पाचन ,पित्तसारक ,स्वेद जनन ,मूत्रल ,रक्तवर्धक ,शोथहर ,विषनाशक ,रक्त शोधक ,पित्त संशोधक ,कुष्ठ्न्घ आदि|


☆ चिरचिटा / अपामार्ग के चमत्कारी लाभ  : - 



• अगर आपको दांतो से संबंधित समस्या है जैसे – दर्द ,दांतो का हिलना ,बदबू आदि तो इसकी ताजी जड़ो से प्रतिदिन दातून करे तो सारी समस्या दूर हो जायेंगी|

• मुंह में छाले होने पर इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर उसका गरारा करे तो छालों में आराम मिलेगा|

• अगर चोट लगने पर रक्त निकलना बंद नहीं हो रहा है तो इसके पत्तों का रस निकालकर उस जगह पर लगाए तो रक्त का बहाव रुक जाएगा|

• यह पुराने से पुराने घाव को सुखा सकता है इसके लिए इसकी जड़ को तिल के तेल में पकाकर घाव में लगाये|

• यदि आपको अधिक भूख लगने की समस्या है तो इसके बीज का बारीक चूर्ण बनाकर उससे मिश्री में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करे तो यह समस्या ठीक हो जाएगी|

• हैजा होने पर इसके पत्तों का रस मिश्री व पानी में मिलाकर पिए तो हैजा ठीक हो जायेगा|

• पेट दर्द होने पर इसकी जड़ का चूर्ण बनाकर उसे शहद में मिलाकर सेवन करने से आराम मिलता है|

• अगर किसी भी प्रकार का विषैला कीड़ा काट ले तो इसके पत्तों का रस लगाने पर विष का असर कम हो जाता है|

• मूत्ररोग की समस्या जैसे पेशाब करते समय दर्द ,पेशाब का रुक-रुक कर होना हो तो इसके पत्ते के रस का काढ़ा बनाकर उसमे थोड़ी सी शक्कर मिलाकर पिए तो आराम मिलेगा|

• इसके तने व पत्ते का चूर्ण बनाकर उसका सेवन करे तो कब्ज की समस्या दूर होगी|



• जोड़ो का दर्द होने पर इसके पत्तों को पीसकर पेस्ट बनाकर गर्म करे और जोड़ो पर लगाये तो दर्द में आराम मिलेगा|

• कुष्ठ रोग होने पर इसकी भस्म को सरसों के तेल में मिलाकर लगाने से रोग ठीक हो जाता है|

• अगर महिलाओं को मासिक धर्म से संबंधित समस्या है तो इसके पंचांग (जड़ ,तना, पत्ती ,फल ,फूल) के रस में मिश्री मिलाकर सेवन करने से समस्या दूर हो जाती है|

इसके अलावा यह पथरी के रोग ,बवासीर की बीमारी ,बुखार ,खांसी ,खुजली ,नेत्ररोग ,श्वसन रोग ,चेचक ,माइग्रेन ,बहरेपन ,अस्थमा जैसे आदि रोगों को ठीक करने के लिए उपयोग में लाया जाता है|


☆ चिरचिटा (अपामार्ग, Latjira) ke Nuksaan  : –




• इसका ज्यादा मात्रा में सेवन करने पर उल्टियाँ होने लगती है|

• स्तनपान करने वाली महिलाएं अगर इसका सेवन डॉक्टर की सलाह के बिना करती है तो उनके लिए ऐसा करना नुकसानदायक हो सकता है|

• गर्भवती महिलाओं को तो इसका सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए|


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