Tuesday, September 22, 2020

🌿 आयुर्वेद - तुलसी



आयुर्वेद में तुलसी के पौधे के हर भाग को स्वास्थ्य के लिहाज से फायदेमंद बताया गया है. तुलसी की जड़, उसकी शाखाएं, पत्ती और बीज सभी का अपना-अपना महत्व है. आमतौर पर घरों में दो तरह की तुलसी देखने को मिलती है. एक जिसकी पत्त‍ियों का रंग थोड़ा गहरा होता है औ दूसरा जिसकी पत्तियों का रंग हल्का होता है.

पौराणिक महत्व से अलग तुलसी एक जानी-मानी औषधि भी है, जिसका इस्तेमाल कई बीमारियों में किया जाता है. सर्दी-खांसी से लेकर कई बड़ी और भयंकर बीमारियों में भी एक कारगर औषधि है.



ज्यादातर हिंदू परिवारों में तुलसी की पूजा की जाती है. इसे सुख और कल्याण के तौर पर देखा जाता है लेकिन पौराणिक महत्व से अलग तुलसी एक जानी-मानी औषधि भी है, जिसका इस्तेमाल कई बीमारियों में किया जाता है. सर्दी-खांसी से लेकर कई बड़ी और भयंकर बीमारियों में भी एक कारगर औषधि है.

गणेश चतुर्थी  :



कई जड़ी बूटियां और पत्ते गणेश पूजा की प्रार्थना का एक हिस्सा रहे हैं और आश्चर्यजनक रूप से, यह विभिन्न स्वास्थ्य कारणों के लिए है।

इन जड़ी-बूटियों के चिकित्सीय लाभों से 21 विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियों और पत्तों (ईका विस्मंथी पत्र पूजा) और आयुर्वेद के व्रतों के साथ प्रार्थना करने की प्रथा है, खासकर बरसात के मौसम में आम सर्दी, खांसी और फ्लू से लड़ने में। तुलसी का पत्ता भी उनमें से एक है।

आयुर्वेद में तुलसी के तीन प्रकार बताए गए हैं। इनमें रामा तुलसी, श्यामा तुलसी, वन तुलसी शामिल है। आयुर्वेद की मानें तो रामा तुलसी बहुत ज्यादा इस्तेमाल की जातीहै। इसकी पत्तियां बड़ी होती हैं और इसका स्वाद भी काफी अच्छा होता है। आयुर्वेद की मानें तो इसका हर भाग आपके लिए कई तरह से फायदेमंद है। तुलसी की जड़, उसकी शाखाएं, पत्ती और बीज सभी का अपना-अपना महत्व है। सर्दी, जुकाम, पेट दर्द, सूजन, दिल की बीमारी और मलेरिया में भी यह फयदेमंद है। इसको सूखे पाउडर, पत्तियों और घी के साथ इस्तेमाल किया जाता है।


तुलसी के कुछ अनदेखे फायदे इस प्रकार हैं:




1. यौन रोगों के इलाज में:

पुरुषों में शारीरिक कमजोरी होने पर तुलसी के बीज का इस्तेमाल काफी फायदेमंद होता है. इसके अलावा यौन-दुर्बलता और नपुंसकता में भी इसके बीज का नियमित इस्तेमाल फायदेमंद रहता है.

2. अनियमित पीरियड्स की समस्या में :

अक्सर महिलाओं को पीरियड्स में अनियमितता की शिकायत हो जाती है. ऐसे में तुलसी के बीज का इस्तेमाल करना फायदेमंद होता है. मासिक चक्र की अनियमितता को दूर करने के लिए तुलसी के पत्तों का भी नियमित किया जा सकता है.

3. सर्दी में खास :

अगर आपको सर्दी या फिर हल्का बुखार है तो मिश्री, काली मिर्च और तुलसी के पत्ते को पानी में अच्छी तरह से होता है. आप चाहें तो इसकी गोलियां बनाकर भी खा सकते हैं.

4. दस्त होने पर :

अगर आप दस्त से परेशान हैं तो तुलसी के पत्तों का इलाज आपको फायदा देगा. तुलसी के पत्तों को जीरे के साथ मिलाकर पीस लें. इसके बाद उसे दिन में 3-4 बार चाटते रहें. ऐसा करने से दस्त रुक जाती है.

5. सांस की दुर्गंध दूर करने के लिए :

सांस की दु्र्गंध को दूर करने में भी तुलसी के पत्ते काफी फायदेमंद होते हैं और नेचुरल होने की वजह से इसका कोई साइडइफेक्ट भी नहीं होता है. अगर आपके मुंह से बदबू आ रही हो तो तुलसी के कुछ पत्तों को चबा लें. ऐसा करने से दुर्गंध चली जाती है.

6. चोट लग जाने पर :

अगर आपको कहीं चोट लग गई हो तो तुलसी के पत्ते को फिटकरी के साथ मिलाकर लगाने से घाव जल्दी ठीक हो जाता है. तुलसी में एंटी-बैक्टीरियल तत्व होते हैं जो घाव को पकने नहीं देता है. इसके अलावा तुलसी के पत्ते को तेल में मिलाकर लगाने से जलन भी कम होती है.

7. चेहरे की चमक के लिए :

त्वचा संबंधी रोगों में तुलसी खासकर फायदेमंद है. इसके इस्तेमाल से कील-मुहांसे खत्म हो जाते हैं और चेहरा साफ होता है.

8. कैंसर के इलाज में :

कई शोधों में तुलसी के बीज को कैंसर के . हालांकि अभी तक इसकी पुष्ट‍ि नहीं हुई है.


तुलसी के ये फायदे:




1.तुलसी के रस को  शहद के साथ सेवन करने से हिचकी, अस्थमा और सांसों की बीमारियों को ठीक किया जा सकता है।

2.रक्त को साफ करने में भी ये मददगार है। इसके अलावा मुंह के छाले के लिए भी ये रामबाण इलाज है। 

3. अगर खांसी के साथ फेफड़ों में आवाज आए तो तुलसी को मिश्री के साथ मिलाकर दिया जाता है। 

4.रोजाना तुलसी की 10 पत्तियों को चबाना सेहत के लिए अच्छा होता है। इससे ब्लड प्रेशर में तो आराम मिलता ही है साथ ही ब्लड शुगर को भी यह नॉर्मल करती है।

5. तुलसी के पत्तों के साथ 4 भुनी लौंग चबाने से खांसी जाती है।

6. तुलसी के बीजों को गाय के दूध के साथ  मिलाकर लेने में यह एंटीऑक्सीडेंट का काम करती है। 


तुलसी के नुकसान : -




•तुलसी हमारे शरीर में रक्त को पतला करती है और इसलिए इसे खून के जमने को रोकने वाली दवाओं के साथ नहीं लिया जाना चाहिए।

यदि मधुमेह या हाइपोग्लाइसीमिया से पीड़ित लोग, जो दवा ले रहे हैं और तुलसी का सेवन करते हैं, तो उनके रक्त शर्करा में अत्यधिक कमी हो सकती है।


•गर्भावस्था के दौरान तुलसी की अत्यधिक मात्रा गर्भाशय के संकुचन (uterine contraction) और मासिक धर्म का कारण बन सकती है। विशेष रूप से पहली तिमाही (first trimester) में महिलाओं को इसके उपयोग से बचना चाहिए। स्तनपान कराने वाली माताओं के बारे में विशेष जानकारी नहीं है, लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से स्तनपान की अवधि के दौरान तुलसी के उपयोग से बचें।


•अदरक तुलसी की चाय अधिक मात्रा में सेवन करने से सीने में जलन, एसिडिटी और पेट में जलन पैदा हो सकती है।


☆ तुलसी की तासीर गरम होती है इसलिए इसका सेवन सर्दियों के मौसम में करने की सलाह दी जाती है। तुलसी को गर्मियों के मौसम में भी खा सकते हैं पर इसका अधिक उपयोग करने से आपको कोई समस्या हो सकती है।


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