आम को हम फलों का राजा कहते है, यह भारत का राष्ट्रीय फल है। इसकी मीठी सुगंध और मधुर स्वादों ने दुनिया भर के लोगों के दिलों को जीत लिया है। आम, दुनिया में सबसे प्रचलित उष्णकटिबंधीय फलों में से एक है। आम का रस, आम की चटनी, आम के पापड़... और सबसे अच्छा तो इसे यूं ही काट कर खाना माना जाता है। आम का वृक्ष भारत के सबसे प्रसिद्ध और सबसे लोकप्रिय पेड़ों में से एक है। आम बहुत ही पौष्टिक होता है | इसमें प्रोटीन,विटामिन व खनिज पदार्थ, कार्बोहाइड्रेट तथा शर्करा विपुल मात्रा में होते हैं।
आम के पेड़ का वैज्ञानिक नाम मैंगीफेरा इंडिका है। हालांकि आम के पेड़ में सुगंधित फूल नहीं होते हैं, फिर भी पेड़ को इसकी पत्तियों, छाल और आकार से पहचाना जा सकता है। वृक्ष पूरे वर्ष अपनी पत्तियों को बनाए रख सकता है। आम तौर पर, यह पेड़ अपनी ऊँचाई को बढ़ाने के लिए काफी हद तक फैलता है। पेड़ पर्यावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करता है, इसका उपयोग आम के पेड़ के तने, शाखाओं, पत्तियों और फलों को बनाने के लिए करता है। आम का पेड़ ऑक्सीजन का उत्पादन करता है और इस प्रक्रिया के दौरान इसे पर्यावरण में छोड़ता है।
देश की विभिन्न भाषाओं में इस लोकप्रिय पेड़ के कई नाम हैं। बंगाली भाषा और हिंदी भाषा दोनों में, इसे आम के नाम से जाना जाता है। तेलुगु भाषा में, मैंगो को ‘ममिड’ या ‘ममाडा’ के रूप में जाना जाता है; और तमिल लोग इसे ‘मंगल’ या ‘मा’ के रूप में जानते हैं।
☆ हिन्दू धर्म में आम के पेड़ का बहुत अधिक धार्मिक महत्व है। हिंदुओं के लिए, यह सभी प्राणियों के भगवान, प्रजापति का एक परिवर्तन है। इसके अलावा, जिन कमरों में विवाह समारोह आयोजित किए जाते हैं, वे आम के पत्तों से सजाए जाते हैं। लकड़ी को पवित्र भी माना जाता है क्योंकि यह अंतिम संस्कार की चिड़ियों में शामिल है। यह भी दर्शाया गया है कि एक पके आम का फल भगवान गणेश के पास होता है। विनायक चविथि के दिन हम 21 पत्तों के साथ भगवान गणेश जी की पूजा करते हैं। वे सभी औषधीय गुणों वाली पत्तियां हैं। आम पत्र उनमें से एक है। हिंदू भी बंगाली महीने, माघ के दूसरे दिन पेड़ के फूल चंद्रमा को समर्पित करते हैं।
* आम के वृक्ष की संरचना :
आम का पेड़ लगभग 120-130 फीट की ऊंचाई तक बढ़ सकता है, जिसके शीर्ष पर 33 फीट का त्रिज्या होता है। आम के पेड़ की जड़ गहरी मिट्टी में लगभग 20 फीट नीचे चली जाती है। जड़ें आमतौर पर बहुतायत और चौड़ी होती हैं। आम के पेड़ की सदाबहार पत्तियों में एक विशिष्ट सुगंध होती है और लगभग 15-35 सेमी लंबाई और 6-16 सेमी चौड़ाई होती है। प्रारंभिक अवस्था में, पत्तियाँ नारंगी रंग की होती हैं, लेकिन पत्तियों के परिपक्व होने पर गहरे लाल और अंततः गहरे हरे रंग की हो जाती हैं। आमतौर पर जनवरी से मार्च के बीच फूलों की बारिश होती है। फूलों में 4 या 5 पंखुड़ियाँ होती हैं और लंबाई 5-10 मि.मी. आम के फूल पीले-हरे रंग के होते हैं। पंखुड़ियों पर नारंगी रंग की धारियां होती हैं। वृक्ष में दिखने वाले हजारों फूलों में से कुछ में ही फल पैदा करने की क्षमता होती है। फूलों को कीड़ों द्वारा परागित किया जाता है और 1 प्रतिशत से कम फूल एक फल बनाने के लिए परिपक्व होंगे। पेड़ के तने मोटे, हरे रंग के और लहरदार होते हैं। वे कई पीछे हटने वाले तनों को सहन कर सकते हैं। इनमें से प्रत्येक तने में बहुत कम और डंठल वाले फूल होते हैं।
* आम के पेड़ का उपयोग :
फल की नाजुकता के अलावा, पेड़ में कुछ अन्य मूल्यवान गुण भी हैं। आम के पेड़ की लकड़ी काफी नरम और टिकाऊ होती है और इस प्रकार पैकिंग के मामले और चाय के बक्से बनाने के लिए बहुत अच्छी होती है। छाल एक गोंद का उत्पादन कर सकती है जिसका उपयोग दवा में किया जाता है। अपरिपक्व फल भी इस्तेमाल किया जा सकता है, ओफ्थाल्मिया के इलाज के रूप में और कुछ लोगों का मानना है कि पके फल से तैयार एक टॉनिक, जिगर के लिए अच्छा है। इतना ही नहीं, पेड़ के विभिन्न हिस्सों का उपयोग रक्तस्राव को रोकने के लिए किया जाता है और सर्प-दंश और बिच्छू-डंक के मामलों में भी निर्धारित किया जाता है।
* आम के फलों के अलावा इसके पूरे पौधे में अनेक औषधीय गुण होते हैं। वास्तव में पूरा आम का पेड़ ही औषधीय गुणों का खजाना है। शरीर के अनेक रोग में आम के फूल, फल, बीज,पत्ते, छाल, जड़, सूखी लकड़ी, हरी लकड़ी द्वारा घरेलू दवायाएं, औषधीय, आयुर्वेदिक उपचार, होम्योपैथी इलाज एवं सेवन विधि निम्नलिखि प्रकार से किये जाते हैं:-
• ताजे हरे आम के बीजों यानि गुठलियों को सुखा लें। इसे पीसकर पाउडर बना लें। इस चूर्ण में स्वादानुसार काला नमक और जीरा पाउडर मिलाकर रख लें। जब भी अपच की शिकायत हो थोड़ी मात्रा में ये चूर्ण खाएं, समस्या दूर हो जाएगी।
• आम की ताजा पत्तियों के रस को एसिडिटी नियंत्रण के लिए हर्बल जानकारों के द्वारा दिया जाता है। ताजा पत्तियों (लगभग 10 ग्राम) को 50 मिली पानी के साथ मिलाकर पीस लें। इस रस को पीने से एसिडिटी दूर हो जाती है।
• आम की गुठलियों के चूर्ण को दही के साथ मिलाकर लेने से दस्त में आराम मिलता है। गुजरात में दस्त और बदहजमी की हालत में अक्सर रोगी को यही देसी नुस्खा दिया जाता है। लू लगने पर भी इसी नुस्खे का इस्तेमाल किया जाता है।
• आम की गुठलियों का चूर्ण, कमल के सूखे फूल, बीज और सूखी पत्तियों की समान मात्रा लेकर पीस लें। इस मिश्रण को उन महिलाओं को ठंडे पानी से लेना चाहिए, जिन्हें गर्भधारण करने में समस्या आ रही हो।
• बच्चों के पेट में कृमि होने पर आम की गुठलियों के चूर्ण और विडंग नामक जड़ी-बूटी की समान मात्रा मिलाएं। रात सोने से पहले इसे लेने से कृमि मर जाते हैं।
• आम की गुठलियों के रस को नकसीर/ नाक से लगातार खून निकलते रहने की शिकायत में भी कारगर माना जाता है। हर्बल जानकारों के अनुसार दिन में 3 बार इस रस की 2-2 बूंद मात्रा नाक में डालें। शीघ्र ही इस समस्या का निदान हो जाएगा।
• खांसी होने पर पके आम को चुल्हे पर भून लें। ठंडा होने पर रोगी को खिलाएं। इससे खांसी में जल्द आराम मिलता है।
• कच्चे आम का पना (आम रस) लू से बचने का एक कारगर देसी फार्मुला है। कच्चे आम को पानी में उबाल लें। इसे मैश करके इसमें पुदीना रस, जीरा, काली मिर्च, चुटकी भर नमक और स्वादानुसार शक्कर मिलाएं। इस एक गिलास रस का सेवन करने से लू की समस्या में राहत मिल जाती है।
• पके हुए आम (लगभग 100 ग्राम) को खाने के बाद एक गिलास ठंडा दूध पी लेने से अनिद्रा की समस्या दूर हो जाती है’!
• अधिक प्यास में आम की गुठली गिरी के 40-60 ग्राम क्वाथ में 10 ग्राम मिश्री मिलाकर पीने से भयंकर प्यास शांत होती है।
• सफेद बाल में आम की गुठलियों के तेल को लगाने से सफेद बाल काले हो जाते है, तथा काले बाल जल्दी सफेद नहीं होते है। बाल झड़ना व रुसी में भी इससे लाभ होता है।
• योनिरोग में आम के फूल,छाल और पत्तों को पानी में पीसकर बत्ती बनाकर योनि में धारण करने से, गभार्शय द्वारा स्त्रावित होने वाले दूषित रक्तस्राव तथा योनि की दुर्गन्ध में लाभ होता है।
• आम के औषधीय प्रयोग में आम की चाय, आम के आठ-दस पत्र जो वृक्ष पर ही पककर पीले रंग के हो जाते है, एक लीटर पानी में 1-2 ग्राम इलायची डालकर उबालें, जब पानी आधा शेष रह जाये तो उतार कर शक़्कर और दूध मिलाकर चाय की तरह पीने से शरीर के समस्त अंगों को शक्ति प्रदान करती है।
• आम को तोड़ते समय आम फल की पीठ में जो गोंदयुक्त रस निकलता है, उसे दाद के ऊपर खुजलाकर लगा देने से फौरन छाला पड़ जाता है, छाला फूटकर पानी निकल जाता है। दो-तीन बार लगाने से दाद से छुटकारा मिलता है।
☆ आम खाने के नुकसान : –
• आम में कैलोरी की मात्रा भी ज्यादा होती है। आम के अत्यधिक सेवन करने से वजन बढ़ सकता है।
• आम के अधिक सेवन करने से हमारे शरीर में चर्बी बढ़ने का खतरा रहता है।
• आम के फल में फाइबर अधिक मात्रा में निहित होता है। जिसके अत्यधिक सेवन करने से आपको दस्त की शिकवा शिकायत हो सकती है।
• आम के अत्यधिक सेवन से आपके शरीर में एलर्जी होने का डर बना रहता है।
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