भारत का राष्ट्रीय वृक्ष बरगद है, बरगद के पेड़ को बट वृक्ष या बड़ के पेड़ भी कहा जाता है। बरगद के पेड़ को विशाल स्वरूप और लोगों को छाया प्रदान करने के कारण मानवीय प्रतिष्ठान का केंद्र बिन्दु माना जाता है। यह वृक्ष अक्सर कल्पित ‘कल्पवृक्ष’ कहलाता है, क्योंकि यह दीर्घायु से संबंधित मनोकामनायें पूरी करने का एक प्रतीक भी है और इसमें महत्वपूर्ण औषधीय गुण भी पाये जाते हैं। बरगद का पेड़ आकार में बहुत बड़ा होता है। यह जीवों की एक बड़ी संख्या के लिए एक निवास स्थान है।
बरगद एक विशाल वृक्ष होता है। आमतौर पर इसे इसके बड़े आकार, ऑक्सीजन प्रदान करने और हिंदू धर्म में आस्था की मान्यताओं से जोड़ कर देखा जाता है। इसे वट और बड़ भी कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम फाइकस बेंगालेंसिस (Ficus Benghalensis) है। बरगद का पेड़ सीधा बड़ा होता है, तो फैलता जाता है। इसकी जड़े तनों से निकल कर नीचे की तरफ बढ़ती हैं। जो बढ़ते हुए धरती के अंदर घुस जाती हैं और एक तने की तरह बन जाती हैं। इसके इन जड़ों को बरोह या प्राप जड़ भी कहा जाता है।
बरगद का फल गोल आकार का, छोटा और लाल रंग का होता है। इसके फल के अंदर बीज होता है, जो बहुत ही छोटा होता है। बरगद की पत्तियां चौड़ी होती हैं। जिनका आकार थोड़ा ओवल शेप में होता है। इसकी ताजी पत्तियों, तनों और छाल को तोड़ने पर उनसे एक सफेद रंग का तरल पदार्थ बहता है जिसे लेटेक्स अम्ल कहा जाता है।
हिंदू धर्म में वट वृक्ष की बहुत महत्ता है। ब्रह्मा, विष्णु, महेश की त्रिमूर्ति की तरह ही वट,पीपल व नीम को माना जाता है, अतएव बरगद को शिव समान माना जाता है। अनेक व्रत व त्यौहारों में वटवृक्ष की पूजा की जाती है। यह आस्था के ऊपर निर्भर करता है। भारत के कई मंदिरों में बरगद का पेड़ देखा जा सकता है।
बरगद पेड़ सालों-सालों तक हरा-भरा बना रहता है। सूखा और पतझड़ आने पर भी इसकी पत्तियां पूरी तरह से नहीं झड़ती हैं। कई तरह की स्वास्थ्य स्थितियों के उपचार के लिए बरगद के पेड़ की पत्तियों, छाल, फल, बीज और निकलने वाले सफेद पदार्थ का इस्तेमाल किया जा सकता है।
बरगद के पेड़ के औषधीय गुण से कफ, वात, पित्त दोष को ठीक करने की क्षमता रखते हैं। सामान्य तौर पर यह उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जा सकता है। बरगद के पेड़ को हिमालय के तराई वाले भागों में भी पाया जा सकता है, लेकिन यह हिमालय के उंचाई वाले भागों में नहीं उग सकता है।
☆ बरगद के फायदे : -
• बरगद जोड़ो के दर्द से राहत -
जोड़ो के दर्द और सूजन से राहत के लिए बरगद की ताजी पत्तियों पर तिल का तेल लगाएँ। पत्तियों को गर्म करें और प्रभावित क्षेत्रों पर रखें। इसके अलावा प्रभावित क्षेत्र पर बरगद के लेटेक्स (दूध) को बाहरी रूप से उपयोग कर सकते हैं। गठिया के दर्द से राहत के लिए आपं बरगद के दूध से मालिश भी कर सकते हैं।
• बरगद दाँतों के स्वास्थ्य के लिए -
बरगद के पेड़ की पत्तियों या शाखा को तोड़े। पत्तों से दूधिया अर्क इकट्ठा कीजिएं। इसके बाद शहद के साथ मिलाकर मसूड़ों पर लगाएँ। और दस मिनट के बाद कुल्ला कर लें। आप मुंह की सफाई के लिए बरगद की जड़ों का उपयोग भी कर सकते हैं। आप बरगद की कोमल जड़ों को चबाकर टूथब्रश के रूप में उपयोग करें। साँसों की बदबू को दूर करने के लिए एक कप पानी में बरगद के पेड़ की छाल (1 इंच) को उबाल लें। इस पानी के साथ लगातार गरारे करें।
• बरगद नकसीर (Hemorrhage) के लिए -
नकसीर को रोकने के लिए दूर्वा घास, बरगद के पत्तों और शहद को एक साथ मिश्रित करके सेवन करें।
• बरगद झाइयों को दूर -
बरगद की नर्म पत्तियों और नारियल के गूदे का पेस्ट तैयार करें और झाइयों पर लगाएँ। इसी प्रकार, बरगद और मसूर की दाल के पेस्ट से फ्लेक्स हट जाती है और यह पेस्ट त्वचा को चमक देता है।
• बरगद बवासीर (Piles) में -
खूनी बवासीर के इलाज के लिए बरगद के रस की कुछ बूँदें लें और एक गिलास दूध में मिलाएँ। और नियमित रूप से इसका सेवन करें। इसके अलावा प्रभावित क्षेत्र पर बरगद के लेटेक्स (दूध) को बाहरी रूप से उपयोग करें।
• बड के दूध का सेवन करे आँखों के लिए -
कॉर्नियल ओपैसटी (Corneal opacity) यानी की आँखों की रोशनी के लिए कपूर के बारीक पाउडर को बरगद के लेटेक्स (दूध) में मिलाएं। इस मिश्रण को आंखों में मरहम के रूप में लगाएँ। इसके अलावा एक लौंग और बरगद के लाटेकस (दूध) से एक बारीक पेस्ट बनाओ और आंखों में इसे लगाएँ।
• बरगद के दूध का प्रयोग भरे फटी एड़ियां -
फटी एड़ियों को मुलायम बनाने के लिए बरगद के पेड़ के दूध के साथ दरारें भरें।
• बरगद की जड़ के फायदे दिलाएँ दस्त से राहत -
बरगद के पेड़ की जड़ों को लें और उन्हें पीस लें। और छाछ के साथ सेवन करें। इसके अलावा दस्त से राहत के लिए रात में इसके पत्तों की कलियां भिगोएँ। और अगली सुबह उसके पानी को पी जाएँ।
• त्वचा रोगों का उपचार -
पिंपल्स से बचाव के लिए बरगद की जड़ों के पेस्ट को पिंपल्स पर लगाएँ। त्वचा रोगों से राहत पाने के लिए 2 गिलास पानी में 5 ग्राम छाल पाउडर को उबालें और एक चौथाई पानी रह जाने तक उबालें। इसे सप्ताह 2-3 बार पिएं। त्वचा पर लाल चकत्तों से छुटकारा पाने के लिए प्रभावित क्षेत्र पर बरगद के पत्तों का पेस्ट बनाकर लगाएँ।
• बरगद की जटा है बालों के लिए लाभकारी -
बरगद की जटा और नींबू के छिलके को बराबर मात्रा में लेकर पाउडर बनाएँ। इस पाउडर को नारियल के तेल में उबालें और अपने बालों पर लगाएँ।
* गंजेपन के मामले में, बरगद के पेड़ और कमल की जड़ों के पाउडर को नारियल के तेल में उबाल कर बालों के लिए उपयोग करें।
• बरगद की छाल पेशाब की समस्या से -
अत्यधिक पेशाब आने की समस्या से बचाने के लिए एक गिलास पानी में 2 चम्मच छाल पाउडर को उबालें जब तक कि पानी आधा ना रह जाएँ। पूरे दिन इस तैयार काढ़े को पीते रहें।
• वट वृक्ष के लाभ बचाएँ बांझपन से -
महिला बांझपन के लिए भी आप बरगद का इस्तेमाल कर सकती है। छाया में बरगद के पेड़ की जड़ों को सूखाएँ। बारीक पाउडर बनाने के लिए अच्छे से पीस लें। आधा चम्मच पाउडर को दूध के साथ हर महीने मासिक धर्म के बाद लगातार तीन रातों के लिए लें। गर्भधारण के अवसरों में सुधार के लिए भी आप बरगद के पेड़ के पत्ते की कलियों को पानी के साथ ले सकते हैं।
• बरगद शीघ्रपतन से छुटकारा -
शीघ्रपतन से छुटकारा पाने के लिए भी आप बरगद के पत्तों और दूध का उपयोग कर सकते हैं। बरगद के पत्तों को छाया में सूखाकर पाउडर बनाएँ और दूध के साथ हर सुबह 1 चम्मच लें। इसके अलावा बरगद के दूध की कुछ बूंदों को मिश्री के साथ लें। यौन कमजोरी को दूर करने के लिए घी में हिंग का छोटा टुकड़ा फ्राइ करें। इसे आधा चम्मच बरगद लेटेक्स (दूध) के साथ मिलाएं। हर सुबह इस मिश्रण का सेवन करें।
• बरगद की छाल है मधुमेह के इलाज में उपयोगी -
मधुमेह के इलाज के लिए बरगद के पेड़ की छाल ( इंच) लें। इसे रात में एक गिलास पानी में भिगोएँ। अगली सुबह छाल को मैश करें और इस मिश्रण को फिल्टर करें और पी लें।
बरगद के पेड़ की छाल को सूखाएं और चूर्ण बना लें। 1 बड़ा स्पून छाल पाउडर लें और 2 गिलास पानी में तब तक उबालें जब तक पानी आधा कप ना रह जाएँ। काढ़ा फ़िल्टर करें और नियमित रूप से पिएं।
• बरगद के पत्ते के फायदे करें फोड़े का इलाज -
फोड़े (जीवाणु संक्रमण के कारण मवाद) के इलाज के लिए ताजा बरगद के पत्ते लें। तिल के तेल के साथ पत्ते को कोट करें। कोटेड पत्तों को गर्म करके प्रभावित क्षेत्रों में पुल्टिस (poultice) के रूप में लगाएँ।
☆ साइड इफेक्ट (Side effects) :-
• अगर आप मौजूदा समय किसी भी प्रकार की दवा का नियमित सेवन कर रहे हैं, तो इसके ओरल दवा का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह लें।
• अगर आप बरगद की जड़, छाल, पत्तियों और दूध से आपको किसी तरह की एलर्जी है या इनका इस्तेमाल करने से आपको किसी एलर्जी की प्रतिक्रिया होती है, तो तुरंत इसका उपयोग बंद करें और अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
हर किसी को ऐसे हो ऐसा जरूरी नहीं है, यानि कुछ ऐसे भी साइड इफेक्ट हो सकते हैं, जो यहां इस लेख में बताए नहीं गए हैं। अगर आपको इनमें से कोई भी साइड इफेक्ट हो रहा हे या आप इनके बारे में और जानना चाहते हैं, तो तुरन्त डॉक्टर से संपर्क करें।
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