अजवाइन (ajwain in hindi) एक एेसा हर्ब है जो भारत के हर रसोईघर में पाया जाता है। रसोईघर में तो इसका उपयोग मसाले के रूप में होता है लेकिन आयुर्वेद में अजवाइन का प्रयोग औषधी के रूप में प्राचीन काल से हो रहा है। क्या आपको याद है बचपन में जब आपके पेट में बहुत दर्द होता था तब दादी हो या नानी आपको अजवाइन का पानी या अजवाइन का चूर्ण खाने के लिए देती थी। असल में अजवाइन के फायदे ( Ajwain benefits) इतने हैं कि उनको उंगलियों में गिनना मुश्किल हो जाता है।
* अजवाइन (ajwain) में पाये जाने वाले पोषक तत्व -
अजवाइन में अवाष्पशील तैल, क्युमिन, कैम्फीन, डाईपेन्टीन, मिरसीन, फिनोल, लिनोलीक, ओलिक, पॉमिटिक, निकोटिनिक अम्ल, राइबोफ्लेविन, β-पाइनिन तथा थाइमिन पाया जाता है। इसके फल में थायमोल तथा तेल में साइमीन पाया जाता है। असल में अजवाइन में एसेनशियल ऑयल होता है जो खाने का स्वाद और फ्लेवर बढ़ाने में मदद करता है। अजवाइन में फाइटोकेमिकल जैसे कार्बोहाइड्रेट्स, ग्लाइकोसाइड्स, सैपोनिन्स फिनोलिक यौगिक या कम्पाउन्ड होता है। इसके साथ-साथ अजवाइन में प्रोटीन, फैट, फाइबर और मिनरल जैसे कैल्शियम, फॉस्फोरस, आयरन और निकोटिनिक एसिड होता है। अजवाइन के फायदे (ajwain benefits) भी अजवाइन के पोषक तत्व पर ही निर्भर करता है।
* अजवाइन (ajwain) के औषधीय गुण -
अभी तक तो आप समझ ही गए होंगे कि इतने पोषक तत्व वाले अजवाइन के औषधीय गुण भी बेशुमार होंगे। अजवाइन के बीज में एंटीसेप्टिक, स्टीमूलेंट, कार्मिनटिव (वातहर), मूत्रवर्धक, एनेस्थेटिक, ऐंटीमाइक्रोबायल, एंटीवायरल, नेमाटिडाइड, एंटी-अल्सर, एंटीहाइपेर्टेन्सिव, एंटी-ट्यूसिव, ब्रोंकोडाइलेटरी, एंटीप्लेटलेट, हेपेट्रोप्रोटेक्टीव और एंटी-हाइपरलिपिडेमिक जैसे औषधीय गुण विद्दमान होते हैं। साथ ही अजवाइन का एंटी-कैरोजेनिक गुण मुँह में बैक्टिरीया को पनपने से रोकता है जिससे ओरल हेल्थ बेहतर होता है। अजवाइन में थायमोल, एंटी-बैक्टीरिया गुण होता है, जो ओरल हेल्थ के फायदेमंद होता है।
☆ अजवायन खाने के फायदे :-
• कान का दर्द: अजवायन के तेल 10 बूँद में शुद्ध सरसों का तेल 30 बूँद मिलाये ,फिर उसे धीमी आग पर गुनगुना करके दर्द वाले कान में 4-5 बूँद डालकर, ऊपर से साफ़ रुई का फाहा लगा दे। बाल और अजवायन मिलाकर पोटली बना ले, उस पोटली से सिकाई भी करे। दिन में 2-3 बार यह प्रयोग करने से लाभ हो जायेगा।
• पथ्य: पतला दलिया, हलुआ या कफ-नाशक पदार्थो का सेवन कराये। बासी व गरिष्ठ भोजन न दे।
• दातो में दर्द: अजवायन के तेल में भीगे हुए रुई के फाहे को रोग-ग्रस्त दात पर लगाकर, मुख नीचे करके लार टपकाने से दर्द बंद हो जाता है।
• संधि-शूल: शरीर के जोड़ो में किसी भी प्रकार का दर्द होने पर अजवायन के तेल की मालिश करनी चाहिए।
• ह्रदय-शूल: अजवायन खिलाते ही ह्रदय में होने वाला दर्द शांत होकर ह्रदय में उत्तेजना बढ़ जाती है।
• उदर-शूल या पेट में दर्द होना: अजवायन 3 ग्राम में थोडा पिसा नमक मिलाकर ताजा गरम पानी से फंकी देने से पेट का दर्द बंद हो जाता है। प्लीहा की विकृति दूर हो जाती है तथा पतले दस्त भी बंद हो जाते है।
• गले की सूजन: अजवायन के तेल की 5-6 बूंदों को 5 ग्राम शहद में मिलाकर दिन में 3-4 बार तक चाटे। साथ ही थोड़े से अजवायन के चूर्ण को नमक मिले हुए गरम जल में घोलकर उस जल से गरारे भी करने चाहिए। भूख लगने पर भुने हुए आटे का (नमकीन अजवायन भी डाले) हलुआ खाए। बलगम व वायुवर्धक, बासी, गरिष्ठ पदार्थो का सेवन न करे तथा ऊनी वस्त्र आदि से गर्दन व कर्णमूल को ढक ले ताकि रोगी को उचित लाभ मिल सके।
• बहुमूत्र: अजवायन में तेल मिलाकर खाने से आशातीत लाभ होता है।
• पथरी: कुछ दिनों तक थोड़ी-सी अजवायन फाककर ऊपर से ताजा जल पीने से मूत्राशय से पथरी गल कर निकल जाती है।
• उदर-कृमी: रोगी बच्चो को पीसी अजवायन, छाछ (मट्ठा) के साथ कुछ दिनों तक नियमित देते रहे। पेट के समस्त कीड़े निकाल जायेंगे।
• खाँसी: (i) अजवायन चबाकर ऊपर से गरम जल पीने से खाँसी का वेग कम हो जाता है। (ii) कफज खाँसी में, अजवायन सत 1 ग्राम में शहद मिलाकर रोग की दशानुसार दिन में 2-3 बार चाटे।
• बदहजमी: अजवायन 5 ग्राम में काला नमक मिलाकर गरम जल के साथ लेने से अपानवायु निकाल जाती है। जिसके कारण खट्टी डकारे आना, पेट में शूल उठना, गले में भारीपन, बेचैनी आदि रोग-लक्षण समाप्त हो जाते है।
• वमन: अजीर्ण को गाय के मूत्र में 24 घंटे भिगोकर सुखा ले ।यह अजवायन थोड़ी-थोड़ी मात्रा में प्रतिदिन प्रातः-सायं रोगी को खिलाने से उदर में भरा हुआ जल निकाल जाता है और रोग से स्थायी मुक्ति मिल जाती है।
• वात-गुल्म या वायुगोला का दर्द: सत अजवायन पानी में मिलाकर रोग-दशा के अनुसार कुछ दिनों तक लेने से वायु-गोला का दर्द ठीक को जाता है।
• पित्ती उछलना: अजवायन 2 ग्राम व 5 ग्राम गुड मिलाकर सेवन करे, पित्ती दब जाएगी।
• पौरुष-वृद्धि योग: अजवायन को सफ़ेद प्याज़ के रस में 3 बार भिगो और सुखाकर रख ले।10 ग्राम इस अजवायन में सामान घी और दो गुनी चीनी मिलाकर 1 मात्रा माने. यह योग लगभग सप्ताह तक लेने से जननेंद्रिय की कमजोरी दूर हो जाती है और प्रयाप्त पौरुष की वृद्धि हो जाती है।
• महिला रोग -
(1) प्रसुतावस्था में मंदाग्री, रक्ताकाल्पता, कमर दर्द, कमजोरी, गर्भाशय में रक्तविकार आदि को दूर करने के लिए गुड के साथ अजवायन का सेवन हितकारी है।
(2) गरम दूध के साथ अजवायन का चूर्ण खाने से मासिक धर्म का रक्त खुलकर आने से गर्भाशय साफ़ हो जाता है और दर्द मिट जाता है।
(3) प्रसव के बाद का मंद ज्वर, हाथ-पैरों की जलन, उदर-शूल, मंदाग्री, जलन, जुकाम-खाँसी, पेट में तनाव, सूजन, रुधिर या धातु-पदार्थ का मूत्र-मार्ग से बाहर निकलना आदि लक्षण प्रकट होने पर अजवायन डालकर जलाये हुए सरसों के तेल की मालिश करनी चाहिए।
(4) अजवायन का काढ़ा भी हितकारी है, विशेषत: ज्वरावस्था में।
(5) रोगिणी को रोग-दशानुसार प्रातः-सायं अजवायन का हरिरा देना चाहिए।
☆ अजवाइन के नुकसान : -
• हमेशा ताजी अजवाइन को ही उपयोग में लाना चाहिए, क्योंकि पुरानी हो जाने पर इसका तैलीय अंश खत्म हो जाता। तैलीय अंश के खत्म होने से इसका पूरा फायदा नहीं मिलता।
• गर्भवती महिलाओं को अजवाइन का अधिक मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि गर्म तासीर होने के कारण यह गर्भापात का कारण बन सकती है।
• बच्चों के लिए अजवाइन की सही खुराक निश्चित नहीं की जा सकती है। लेकिन फिर भी आपको सलाह दी जाती है कि बच्चों को भी बहुत ही कम या नियंत्रित मात्रा में अजवाइन का सेवन करना चाहिए।
• यदि आप खून को पतला करने संबंधी दवाओं का सेवन कर रहे हैं तो इस दौरान अजवाइन का सेवन न करें। यह आपके रक्त को और अधिक पतला बना सकता है।
• थाइमोल की अच्छी मात्रा होने के कारण कुछ लोगों को अजवाइन का सेवन करने या उपयोग करने से त्वचा में जलन, खुजली या चकते आदि की समस्या हो सकती है।
• अधिक मात्रा में अजवाइन का सेवन करने से चक्कर आना, उल्टी और मतली आदि की परेशानी भी हो सकती है।
• कुछ लोगों को अजवाइन का अधिक मात्रा में सेवन पेट दर्द, मुंह के छाले और जलन आदि का अनुभव करा सकता है।
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