Saturday, November 7, 2020

🌿 आयुर्वेद - केसर



केसर (saffron) एक सुगंध देनेवाला पौधा है। इसके पुष्प की वर्तिकाग्र  को केसर, कुंकुम, जाफरान अथवा सैफ्रन कहते हैं। यह इरिडेसी (Iridaceae) कुल की क्रोकस सैटाइवस (Crocus sativus) नामक क्षुद्र वनस्पति है जिसका मूल स्थान दक्षिण यूरोप है, यद्यपि इसकी खेती स्पेन, इटली, ग्रीस, तुर्किस्तान, ईरान, चीन तथा भारत में होती है। भारत में यह केवल जम्मू (किस्तवार) तथा कश्मीर (पामपुर) के सीमित क्षेत्रों में पैदा होती हैं। प्याज तुल्य इसकी गुटिकाएँ (bulb) प्रति वर्ष अगस्त-सितंबर में रोपी जाती हैं और अक्टूबर-दिसंबर तक इसके पत्र तथा पुष्प साथ निकलते हैं।


केसर का क्षुप 15-25 सेंटीमीटर ऊँचा, परंतु कांडहीन होता है। पत्तियाँ मूलोभ्दव, सँकरी, लंबी और नालीदार होती हैं। इनके बीच से पुष्पदंड (scapre) निकलता है, जिसपर नीललोहित वर्ण के एकाकी अथवा एकाधिक पुष्प होते हैं। पंखुडि़याँ तीन तीन के दो चक्रों में और तीन पीले रंग के पुंकेशर होते हैं। कुक्षिवृंत नारंग रक्तवर्ण के, अखंड अथवा खंडित और गदाकार होते हैं। इनकी ऊपर तीन कुक्षियाँ, लगभग एक इंच लंबी, गहरे, लाल अथवा लालिमायुक्त हल्के भूरे रंग की होती हैं, जिनके किनारे दंतुर या लोमश होते हैं। केसर की गंध तीक्ष्ण, परंतु लाक्षणिक और स्वाद किंचित् कटु, परंतु रुचिकर, होता है।



आयुर्वेद में केसर का बहुत ही अधिक महत्व बताया गया है। आयुर्वेद के अनुसार, केसर का सेवन करना छोटे बच्चों से लेकर वयस्कों के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। आपके शरीर को केसर के इस्तेमाल से ना सिर्फ कई तरह के फायदे पहुंचते हैं, बल्कि यह कई बीमारियों को होने से रोकता भी है। रोग हो जाने पर उसे ठीक करने में भी मदद पहुंचाता है।


केसर का पौधा छोटे आकार का होता है। केसर का उपयोग विभिन्न औषधियों, और खाद्य पदार्थों में किया जाता है। केसर का पौधा (saffron plant) कई सालों तक जीवित रहता है। इसकी जड़ के नीचे प्याज के समान गांठदार शल्ककन्द होता है। इसके पत्ते घास के समान लम्बे, एवं पतले होते हैं। केसर के फूल (saffron flower) नीले, बैंगनी, लाल-नारंगी रंग के होते हैं। फूल के स्त्रीकेशर के सूखे हुए आगे वाले भाग (stigma) को केशर (saffron) कहते हैं। आयुर्वेद में केसर के तीन प्रकार बताए गए हैं। सभी के गुण भिन्न-भिन्न होते हैं जो ये हैंः-



1.काश्मीरज केसर :

कश्मीरी केसर (kashmiri saffron) लाल रंग का होता है। यह केसर सूक्ष्म तन्तुओं से युक्त होता है। यह कमल जैसे गन्ध वाला होता है। केसर की तीनों श्रेणियों में यह उत्तम श्रेणी का माना जाता है।

2.बाल्हीकज केसर :

यह बलख-बुखारा देश का केसर है। यह सूक्ष्म तन्तुयुक्त, और पाले रंग का होता है। इसका गन्ध मधु जैसा होता है। यह केसर कश्मीरी केसर के कम गुणी वाला माना गया है।

3.पारसीकज-पारस केसर :

यह ईरान देश का केसर है। यह स्थूल तन्तुयुक्त, हल्का पीले रंग का, और मधु जैसे गन्ध वाला होता है। इस केसर को भी कश्मीरी केसर से कम गुणी वाला बताया गया है।


केसर के फायदे : -



आपने कई बार यह देखा होगा कि जब कोई महिला गर्भवती होती है, तो उसे केसर वाला दूध पीने (saffron during pregnancy) को दिया जाता है। इसी तरह रोग जैसे कमजोरी, सर्दी-जुकाम होने पर, या अन्य बीमारियों में केसर के सेवन करने की सलाह दी जाती है। ऐसा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि केसर स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। 


1. डैंड्रफ (रूसी) की परेशान में केसर का प्रयोग -

कई लोग रूसी या डैंड्रफ से परेशान रहते हैं, और रूसी से छुटकारा पाने के लिए तरह-तरह के उपाय करते हैं। इसके बाद भी कई बार रूसी की परेशानी खत्म नहीं होती। ऐसे में केसर का प्रयोग करना लाभदायक होता है। डैंड्रफ को हटाने के लिए मरिच, और केशर को समान मात्रा में मिलाकर, तेल में पका लें। इस तेल से सिर पर मालिश करें। इससे रूसी की समस्या से निजात मिल सकती है।

2. शरीर में ठंड लगने पर केसर का उपयोग -

केशर (saffron), अगरु, कस्तूरी, इलायची, देवदारु आदि को अलग-अलग, या एक साथ बारीक पीस लें। इसका लेप करने से ठंड कम होती है।

3. बच्चों की सर्दी में केसर का इस्तेमाल -

छोटे बच्चे प्रायः भिन्न-भिन्न कारणों से बीमार पड़ जाते हैंं। इसी तरह छोटे बच्चों को सर्दी की भी शिकायत होती रहती है। ऐसे में केशर को गर्म दूध (kesar milk) के साथ पीसकर छाती पर लेप करें। इससे सर्दी ठीक हो जाती है।

4. सर्दी-जुकाम में फायदेमंद केसर का उपयोग -

सर्दी-जुकाम बहुत ही साधारण बीमारी है। जो लोग इन बीमारियों का आयुर्वेद तरीके से उपचार करना चाहते हैं, उन्हें 65 मिग्रा केशर को पान में रखकर खाना है। इससे सर्दी-जुकाम में फायदा होता है।

5. केसर के इस्तेमाल से पेट दर्द से आराम -

पेट दर्द कई कारणों से होती है। पेट के दर्द से परेशान व्यक्ति 500 मिग्रा दालचीनी चूर्ण में 65 मिग्रा केशर मिला लें। इसका 65 मिग्रा की गोली बना लें। इस गोली को 1-1 की मात्रा में सुबह और शाम खाएं। इससे पेट दर्द से आराम मिलता है।

6. केसर के इस्तेमाल से जल्द भरता है घाव -

घाव को भरने में भी केसर बहुत मदद करता है। घाव हो गया है, और जल्दी ठीक नहीं हो रहा है, तो केशर के पत्तों को पीसकर घाव पर लगाएं। इससे घाव जल्दी भर जाता है।



7. आंतों के रोग में फायदेमंद केसर का सेवन -

आंत जब स्वस्थ रहता है, तो पाचनतंत्र सही तरह से काम करता है। इसलिए आंतों के रोग में 10-15 मिली केशर का काढ़ा बनाकर सेवन करें। इससे आंतों से संबंधित परेशानी से राहत मिलती है।

8. केसर के प्रयोग से सिर दर्द से आराम -

जो लोग सिर दर्द से परेशान रहते हैं, वे घी में केशर के चूर्ण, और चीनी को डालकर पकाएं। इस घी को 1-2 बूंद नाक में डालें। इससे अधकपाड़ी, और अन्य प्रकार के सिर दर्द में आराम मिलता है। इससे वात और खून से संबंधित विकार, और आंखों की बीमारी में भी लाभ मिलता है।

9. माहवारी विकार में केसर का सेवन -

महिलाओं को मासिक धर्म से संबंधित विकार होते ही रहते हैं, लेकिन केसर का सेवन करने से मासिक धर्म संबंधी परेशानियों से आराम मिलता है। इसके लिए केशर, तथा अकरकरा को पीस लें। इसकी 125 मिग्रा की गोली बना लें। इसे खाने से मासिक धर्म विकारों में लाभ होता है।

10. मूत्र रोग में केसर से फायदा -

पेशाब के रुक-रुक कर आने, और पेशाब संबंधित अन्य रोग में केसर के प्रयोग से लाभ होता है। इसके लिए 10-15 मिली केशर के काढ़ा में थोड़ी मात्रा में नमक मिला लें। इसे पानी के साथ सेवन करने से पेशाब संबंधित विकार में लाभ होता है।

मूत्र से संबंधित बीमारियों को ठीक करने के लिए केशर को रात भर पानी में भिगो दें। सुबह उसका चूर्ण बना लें, और इस चूर्ण को शहद के साथ पानी में मिलाकर पीने से मूत्र विकार में फायदा होता है।

11. मानसिक रोग में करें केसर का उपयोग -

मानसिक रोगियों के लिए भी केसर बहुत फायदेमंद होता है। ब्राह्मी के 15-30 मिली काढ़ा में केशर डालकर, पीने से मानसिक रोगों में लाभ होता है।

12. रक्तस्राव में फायदेमंद केसर का प्रयोग -

कुछ लोगों को रक्तस्राव (नाक-कान आदि से खूून बहने की परेशानी) जैसी परेशानी हो जाती है। इसी तरह मुंह, गुदा, योनि आदि इंद्रियों से भी रक्तस्राव होने लेती हैं। ऐसे में केसर का उपयोग फायदेमंद हो सकता है। केशर को बकरी के दूध में मिलाकर पिलाने से रक्तस्राव में लाभ होता है।



13. केसर का प्रयोग कर जोड़ों के दर्द में फायदा -

जोड़ों के दर्द के कारण लोगों का जीवन ही दुखमय हो जाता है। लोगों का चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में केसर से फायदा मिल सकता है। केशर के पत्तों को पीसकर जोड़ों पर लगाएं। इससे जोड़ों का दर्द ठीक हो जाता है।

14. हैजा में केसर का इस्तेमाल फायदेमंद -

केसर का इस्तेमाल हैजा जैसी गंभीर बीमारी में भी किया जा सकता है। इसके लिए 5 मिली नींबू रस में थोड़ी-सी केशर मिलाकर चांटें। इससे हैजा में लाभ होता है।

15. लिवर विकार में केसर के इस्तेमाल से लाभ -

लोगों को लिवर से जुड़ी कई तरह की परेशानियां होने की संभावना रहती है। ऐसे में केशर के चूर्ण में 10 मिली करेले का रस मिला लें। इसे पिलाने से लिवर से संबंधित विकार ठीक हो सकते हैं।

16. हृदय रोग में लाभकारी केसर का उपयोग -

ह्रदय रोग बहुत ही गंभीर रोग माना जाता है। दुनिया भर में हजारों लोग ह्रदय संबंधी विकार से ग्रस्त हैं, और इनसे उनके जीवन को जोखिम पहुंचने की संभावना भी रहती है। केसर इन लोगों के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। हृदय को स्वस्थ बनाने वाली दूसरी औषधियों के साथ केशर को मिलाकर दें। इससे हृदय रोग में लाभ होता है।


केसर के नुकसान : - 




* यदि आप इसका सेवन सही मात्रा में करें तो इसके आपको कोई भी साइड-इफ़ेक्ट महसूस नहीं होंगे परंतु अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से ना केवल आपकी जेब ढीली हो जायेगी बल्कि साथ ही में सेहत भी ख़राब हो जायेगी। अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से आपको सिर दर्द, उलटी और मतली, भूख में कमी इत्यादि साइड-इफेक्ट्स महसूस हो सकते हैं। 

* यदि आप किसी दिल की बिमारी से ग्रस्त हैं और इसका सेवन सही मात्रा में ना करें, तो इसके साइड-इफेक्ट्स और भी गंभीर रूप ले लेते हैं।

* इसके अतिरक्त यदि आप बाइपोलर डिसऑर्डर से प्रभावित हैं या फिर गर्भवती हैं तो इसका सेवन डॉक्टर से पूछने पर ही करें।




No comments:

Post a Comment

🌱 ఆయుర్వేదం - శతావరి

ఆయుర్వేదవైద్యం లో పేర్కొన్న పురాతనమైన మూలికలలో ‘ శతావరి ’ ఒకటి. శతావరి గురించిన ప్రస్తావనలు భారతదేశపు అత్యంత పురాతన వైద్య గ్రంధా...